सरल हिंदी के इस्तेमाल से पुनर्जीवित होंगी गजलें : आशा भोसले

By: Team Aapkisaheli | Posted: 07 Oct, 2019

सरल हिंदी के इस्तेमाल से पुनर्जीवित होंगी गजलें : आशा भोसले
जयपुर। दिग्गज गायिका आशा भोसले का मानना है कि अगर गजलों को सरल हिंदी में लिखा जाए तो यह विधा फिर से जिंदा हो सकती है। उनका मानना है कि आज की युवा पीढ़ी को उर्दू समझने में थोड़ी कठिनाई होती है, ऐसे में हिंदी का इस्तेमाल गजलों में जान डाल सकता है। आशा भोसले कई लोकप्रिय गजलों को अपनी आवाज दे चुकी हैं।

गायिका ने कहा, अगर गजलों को सरल हिंदी में लिखा जाए तो, युवा लड़के और लड़कियां भी अपनी भावनाओं को उससे जोड़ सकेंगे।

रेमंड म्यूजिक समिट में उपस्थित होने के दौरान आईएएनएस से बातचीत के क्रम में गायिका ने कहा, ज्यादतर गजलों को उर्दू में लिखा जाता है और उसे गाने के लिए एक उचित शास्त्रीयता की आवश्यकता होती है।

उन्होंने आगे कहा, उर्दू के युग से बाहर निकलने की आवश्यकता है, क्योंकि आज के युवाओं को इस भाषा को समझने में कठिनाई होती है और इसलिए वे गजल की गहराई और भावनाओं से संपूर्ण शब्दों से जुड़ाव महसूस नहीं कर पाते हैं। गजलों की विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए भाषा को सरल और समसामयिक बनाना ही आज के दौर की मांग है।

उन्होंने बताया कि सरल भाषा से गजल के भावों की गहराई और भावनाओं को जीवित किया जा सकता है।

अपने नजरिए को सही साबित करने के लिए गायिका ने कहा, आप तकल्लुफ(औपचारिकता) शब्द को ही लेकर सोचिए, आज की पीढ़ी के युवा इसे कभी भी नहीं समझ पाएंगे। वे इसके अर्थ को नहीं समझ पाएंगे। ऐसे में गजलों को ऐसी सरल भाषा में लिखा जाना चाहिए, जिसे सभी उम्र के लोग समझ सकें।

इसके साथ ही शास्त्रिय संगीत में पारंगत गायिका ने नए गायकों को शास्त्रीय संगीत सीखने की सलाह दी और लगातार सुर पर अभ्यास करने की भी सीख दी।

वर्तमान समय के संगीत को अप्रमाणिक मानते हुए गायिका ने कहा, आत्मा को छूने वाला संगीत क्या होता है, ये लोग अब नहीं समझ पा रहे हैं। जो इस बात को समझ पाते हैं, वे उसे वापस लाने के लिए प्रयासरत हैं और यही वजह है कि मैं उनके साथ खड़ी हूं। और इसी वजह से इस समिट में भी उपस्थित हूं। (आईएएनएस)

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