निकटता किसी के मिटाए मिट नहीं सकती एक को याद करो तो दूसरा ....

By: Team Aapkisaheli | Posted: 29 Apr, 2012

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निकटता किसी के मिटाए मिट नहीं सकती एक को याद करो तो दूसरा ....
  निकटता किसी के मिटाए मिट नहीं सकती और एक को याद करो तो दूसरा याद आ ही जाता है स्मृति में अंतरंगता कायम है . बहरहाल, अमिताभ और रेखा अलग-अलग और साथ-साथ मनोरंजन जगत में अत्यन्त महत्वपूर्ण रहे हैं  जीवन की पटकथा ने इन्हें  दूरी पर रख दिया है, परन्तु एकबार फिर अमिताभ ने रेखा के साथ काम करने की संभावना से इंकार नहीं किया है.

वर्ष 1981 में प्रदर्शित यश चोपडा की सिलसिला में यह जोडी आखिरी बार परदे पर नजर आई थी। इस जोडी के दीवाने तो आज भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि यह जोडी एक बार फिर सफलता के इतिहास को दोहराए। इसमें कोई शक नहीं है कि जिस दिन अमिताभ-रेखा एक फिल्म में साथ काम करने के लिए राजी हो गए, वह फिल्म दर्शकों के हुजूम को थिएटरों में ले आएगी.

बतौर अभिनेत्री रेखा की पहचान अमिताभ बच्चन की नायिका बनने के साथ शुरू हुई, जब उन्होंने पहली बार फिल्म आलाप में अमिताभ के साथ काम किया। ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने दर्शकों को उतना प्रभावित नहीं किया जितना दो अनजाने में उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों को अपना दीवाना बनाया.

प्रकाश मेहरा की मुकद्दर का सिकंदर में रेखा और अमिताभ की जोडी ने पहली बार शोहरत के आसमान को छुआ और फिर देखते ही देखते यह जोडी सिने-इतिहास में अपना नाम दर्ज करती चली गई। सुहाग, मि.नटवरलाल, गंगा की सौगंध, नमक हराम, खून पसीना सहित कई फिल्मों की सफलता के साथ इस जोडी ने बुलंदी का वह शिखर छुआ, जिसे आज भी लोकप्रियता का इतिहास माना जाता है।
महानायक ने शनिवार रजत पटल पर एक कार्यक्रम में कहा, ""अगर कहानी अच्छी होगी और पसंद की जाएगी तो रेखा के साथ काम करने में मुझे एतराज नहीं होगा।""

रेखा को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने हाल ही में राज्यसभा की सदस्य के रूप में मनोनीत किया है।
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