मुंबई: मकोका कोर्ट ने अबु जुंदाल समेत 12 आरोपियों को दोषी करार दिया

By: Team Aapkisaheli | Posted: 28 July, 2016

मुंबई: मकोका कोर्ट ने अबु जुंदाल समेत 12 आरोपियों को दोषी करार दिया
मुंबई। मुंबई नगरी की मकोका कोर्ट ने गुरुवार को औरंगाबाद हाइवे पर वर्ष 2006 में मिले हथियारों के मामले में आतंकी अबु जुंदाल समेत एक दर्जन लोगों को दोषी करार दिया है, जबकि दस लोगों को बरी कर दिया। हालांकि उन पर लगीं मकोका की धाराएं हटा दी गई थी। और उन्हें आम्र्स एक्ट के तहत दोषी करार दिया गया। अबु जुंदाल आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा का सदस्य है और वह मुंबई पर 26/11 को हुए आतंकी हमले का अहम साजिशकर्ता है। उसको इस हमले के दोषी अजमल कसाब को हिंदी सिखाने वाले के रूप में भी जाना जाता है। मकोका कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया को मारने के लिए यह साजिश रची गई थी। मकोका कोर्ट ने कहा कि यह आतंकी हमले की बड़ी साजिश थी, जिसे आरोपियों ने ‘जिहाद’ का नाम दिया था। इन आरोपियों में फिरोज शेख भी शामिल है, जो विवादास्पद धार्मिक गुरु जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) का कर्मचारी था। आईआरएफ का दूसरा कर्मचारी अर्शीद कुरैशी पिछले सप्ताह आईएस लिंक और धर्म परिवर्तन के केस में नवी मुंबई में पकड़ा गया था।


बता दें कि 8 मई 2006 को महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) को जानकारी मिली थी कि औरंगाबाद हाइवे पर चंदवाड़ और मनमाड़ के बीच कारों में हथियारों का बड़ा जखीरा जा रहा है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए एक कार को तो रोक  लिया था, मगर दूसरी कार वहां से फरार होने में कामयाब हो गई थी। बताया जा रहा है कि दूसरी कार आरोपी और इस मामले का मास्टरमाइंड अबु जुंदाल खुद चला रहा था। वाहन चलाने वाला शख्स जबी बताया गया था। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि जबी और कोई नहीं, बल्कि अबु जुंदाल ही है। वह पुलिस की आंखों में धूल झोंक बांग्लादेश फरार हो गया था और वहां से पाकिस्तान भाग गया।


औरंगाबाद आम्र्स केस में महाराष्ट्र एटीएस ने कुल 22 आरोपी गिरफ्तार गिरफ्तार किए थे। इनमें से एक को बाद में अप्रूवर बना दिया गया, जबकि एक पुलिस कस्टडी से भाग गया था। जुंदाल को 27 मई, 2013 को सऊदी अरब से डिपोर्ट किया गया था। पहले उसकी दिल्ली में एनआईए न कस्टडी ली और उसे अपने केस आरोपी बनाया। बाद में मुंबई क्राइम ब्रांच को 26/11 केस में उसकी कस्टडी मिली। इसी केस में छह महीने पहले डेविड हेडली को अप्रूवर बनाया गया था। जुंदाल को महाराष्ट्र एटीएस ने औरंगाबाद आम्र्स केस में आरोपी बनाया था। औरंगाबाद आम्र्स केस में उसका नाम जैबुद्दीन अंसारी उर्फ जुबी है। 2006 में पाकिस्तान पहुंचने के बाद आईएसआईएस और लश्कर ए तैयबा ने उसका नाम बदल कर अबु जुंदाल कर दिया था। 9 मई, 2006 को तत्कालीन एटीएस चीफ  केपी रघुवंशी को खबर मिली थी कि नासिक-मनमाड के बीच हथियारों व गोला बारूद का जखीरा जमा होने वाला है। उस टिप के बाद जब अलग अलग टीमें आरोपियों की खोजबीन के लिए निकलीं, तो औरंगाबाद के पास टह्वाटा सुमो और इंडिका, इन दो गाडिय़ों को लोकेट किया गया, पर एटीएस की गाडिय़ों को को पीछे देखकर आरोपी टाटा सुमो गाड़ी को छोड़ गए और इंडिका में बैठकर भाग गए। औरंगाबाद में जब्त की गई टाटा सुमो में से 16 एके-47 राइफल्स, 3200 कारतूस, 64 मैगजीन्स, करीब पांच दर्जन हैंडग्रेनेड्स व 43 किलो आरडीएक्स जब्त किया गया था। सारी विस्फोटक सामग्री को कम्प्यूटर के कागज के गत्तों में सामग्री मालेगांव में एक डॉक्टर की क्लिनिक में छिपाई गई थी। क्लिनिक से विस्फोटक वहां एक गोदाम में शिफ्ट किया गया और फिर कुछ दिनों तक इसे मालेगांव में ही किसी इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान में रखा गया। जो इंडिका गाड़ी मिली थी, उसमें औरंगाबाद से मालेगांव के बीच अबु जुंदाल ने सफल किया था। मुंबई से भागने के बाद वह बांग्लादेश पहुंचा और फिर बांग्लादेश से पाकिस्तान भाग गया था। पाकस्तान जाकर वह आईएसआई और लश्कर ए तैयबा के लिए काम करने लगा। 26/11 के मुंबई हमले के दौरान वह कराची कंट्रोल रूम में भी बैठा हुआ था। 26/11 के फिदायीन आतंकवादियों को पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद शहर में जब ट्रेनिंग दी गई थी, तो उस ट्रेनिंग कैंप में जकी उर रहमान लखवी के साथ अबु जुंदाल भी मौजूद था, वहीं पर अजमल कसाब सहित अन्य आतंकवादियों को जुंदाल ने हिंदी सिखाई थी। औरंगाबाद आम्र्स केस के दो महीने बाद 11 जुलाई, 2006 को मुंबई की आधा दर्जन ट्रेनों में बम धमाके हुए थे।

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