शंघाई के बाद अभय देओल : न उम्र की सीमा हो, न और कोई बंधन

By: Team Aapkisaheli | Posted: 09 Jun, 2012

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शंघाई के बाद अभय देओल : न उम्र की सीमा हो, न और कोई बंधन
फिल्म सोचा ना था से अपना कòरियर शुरू करने वाले अभय देओल टाइपकास्ट से बचने के लिए हमेशा अलग-अलग जॉनर में हाथ आजमाते रहे हैं। इसी कडी में इस बार वे डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी की हालिया पेशकश शंघाई का हिस्सा बने हैं। इस हफ्ते रिलीज हुई इस पॉलिटिकल थ्रिलर में अभय 40 साल के एक साउथ इंडियन ब्यूरोक्रेट के रोल में हैं। मेरा मानना है कि निष्ठा सिर्फ किरदार को लेकर होनी चाहिए और मैं सिर्फ पॉपुलर होने के लिए कुछ नहीं करता हूं। मेरी यही तमन्ना है कि जो मैं चाहता हूं, वो मुझे मिल जाए। शंघाई को लेकर अभय देओल पूरी तरह से संतुष्ट हैं। उनका कहना है कि दिबाकर बनर्जी की अब तक की यह सबसे अच्छी फिल्म है। इस फिल्म को मैंने बहुत एंजॉय किया और उम्मीद है कि दर्शक भी इसे पसंद कर रहे हैं। इसकी स्क्रिप्ट और इसके लुक के अलावा भी कई बातें हैं, जो मुझे अच्छी लगी हैं। दिबाकर बनर्जी की फिल्म शंघाई में अभय देओल ने अपनी पूरी से बडी उम्र के व्यक्ति का किरदार अदा किया है। इसे लेकर उन्हें कोई खुशफहमी या गलतफहमी नहीं है। इस किरदार के बारे में उनका कहना है कि, मेरे लिए यह बात मायने नहीं रखती कि मैं नौजवान का रोल निभा रहा हूं या किसी उम्रदराज शख्स का। मैं खुद को किसी दायरे में नहीं बांधना चाहता और हर किस्म के रोल करना चाहता हूं। मेरे लिए न तो उम्र की कोई सीमा है और न ही किसी और तरह का बंधन है। अभय ने इस किरदार में वास्तविकता लाने के लिए तमिल भाषा को सीखा। उनका कहना था कि परदे पर साउथ इंडियन कैरेक्टर की जो छवि है, उससे बाहर निकलकर मैं इसे मूल रूप में परदे पर उतारना चाहता था। इस रोल को विश्वसनीय बनाने के लिए मैंने वही किया, जो दिबाकर मुझसे चाहते थे। तमिल सीखना भी उसी का एक हिस्सा था। शंघाई में अभय देओल के साथ कल्कि ने भी काम किया है। उनके साथ उनकी यह तीसरी फिल्म है। इससे पहले वह उनके साथ देव डी और जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा में काम कर चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने फारूख शेख और प्रसन्नजीत के साथ काम किया है। अभय देओल के ज्यादातर दृश्य फारूक शेख के साथ हैं। और सब जानते हैं कि वे कितने अच्छे कलाकार हैं। इसके सिवाय उनकी अदाकारी के बारे में यही कहा जा सकता है कि उनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। प्रसन्नजीत के साथ उन्हें काम करने का कोई मौका नहीं मिला है। इन दोनों का एक भी दृश्य साथ में नहीं है। हां इमरान हाशमी के साथ जरूर वे पहली बार स्क्रीन शेयर कर रहे हैं। हालांकि अपनी पिछली सफल फिल्म जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा में वे फरहान अख्तर और ऋतिक रोशन के साथ काम कर चुके हैं। इमरान हाशमी के साथ काम करने पर उनका कहना था कि मेरे और इमरान के बीच किसी प्रकार की प्रतियोगिता नहीं थी। मैं ऎसा नहीं हूं। कोई भी काम मैं कंपीटिशन की भावना से नहीं करता और कुल मिलाकर मेरे लिए फिल्म ही मायने रखती है। वैसे भी इसको लेकर मेरा लॉजिक कुछ अलग है। मेरा मानना है कि किसी भी फिल्म में मेरे हिस्से वही किरदार आता है, जो मेरे अलावा कोई और नहीं कर सकता और मुझे कभी ऎसा किरदार नहीं मिलता, जिसे मैं न कर पाऊं। इस तरह कंपीटिशन अपने आप ही खत्म हो जाता है। अपने अब तक के करियर को लेकर अभय देओल पूरी तरह से खुश हैं। अपने करियर के बारे में उनका कहना है कि मैं आज जो कुछ भी कर रहा हूं, उससे बहुत खुश हूं। इंडस्ट्री से मुझे बहुत सीखने को मिला है। आज मैं पहले से ज्यादा विनम्र और मैच्योर हो गया हूं। वैसे मुझे लगता है कि अब इससे और ज्यादा की उम्मीद नहीं लगानी चाहिए।
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