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उफ् । ये बच्चो. . .

By: Team Aapkisaheli | Posted: 08 Jun, 2012

उफ् । ये बच्चो. . .
बच्चे! अर्थात् शोर-शराबा और हंगामा। बच्चों का नाम सामने आते ही महिलाओं के ललाट पर सलवटें उभर आती हैं और उनकी आँखों में तनाव के साथ-साथ गुस्सा नजर आने लगता है। जब स्कूलों की छुटि्टयाँ होती हैं बच्चे फ्री होते हैं तब हर घर में हंगामा, चीख चिल्लाहट और शोर सुनाई देता है। हर घर से हर मां की तेज आवाज सुनाई देती है। स्वभावत: बच्चों की फितरत होती है कि वह अपने आप को व्यस्त रखना पसन्द करते हैं। ऎसे में ये हर वो काम करते हैं जिसे उन्हें नहीं करना चाहिए। उनकी उठापटक से उनकी मां-दादी सबसे ज्यादा परेशान होती हैं। कई बार बच्चो के ऊधम को हम नकारात्मक तरीके से देखते हैं। साथ ही बच्चो के लिए लोगों की सोच तक गलत बन जाती हैं कि ऎसे बच्चो बडे होकर बिगडैल होते हैं। आवारागर्दी करते हैं। इसलिए इन्हें अभी से ही अनुशासन सीखना चाहिए और इनके साथ बचपन से ही सख्ती बरतनी चाहिए। हाल ही में हुए एक शोध से ज्ञात हुआ है कि जो बच्चे ज्यादा शरारतें करते हैं उनके अभिभावकों को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। शोध के अनुसार इन शरारती बच्चो का आईक्यू लेवल ज्यादा होता है। लेकिन वहीं इन बच्चो की परवरिश में बहुत ध्यान देने की जरूरत होती है। जिससे इनका आने वाला भविष्य उज्ज्वल हो।
1. अगर आपका बच्चा छोटी-मोटी शरारतें करता है, तो तब कोई गलत बात नहीं हैं। हालांकि आपकी नजर उस पर होनी चाहिए, साथ ही वह जब भी कोई शरारत करे या बाहर से करके आए, तो माता-पिता को चाहिए कि उसे उसकी गलती का अहसास जरूर कराएं और उसे दोबारा ऎसा ना करने को समझाएं या चेतावनी दें।
2. जिन बच्चो में एनर्जी लेवल ज्यादा होता है वे शरारतें करके अपनी शारीरिक ऊर्जा खर्च करते हैं। अगर आपका बच्चा बहुत ज्यादा ऊधम या उछल-कूद करता है तो आप उसे फुटबॉल, बैडमिंटन, क्रिकेट, हॉकी जैसी एक्टिविटीज के लिए पे्ररित कर सकते हैं। इससे उनकी एनर्जी का सही प्रकार से इस्तेमाल हो सकता है।
3. कई बार ऎसा होता है कि बच्चे स्वयं को अपेक्षित महसूस करते हैं इसलिए वे मां-बाप का ध्यान आकर्षित करने के लिए शरारतें करते हैं। जैसे-अगर आपका बच्चाा पहले शांत स्वभाव का रहा हो और फिर वह अचानक शरारतें करने लगे तो यह इस बात का संकेत है कि आप उसे पूरा समय नहीं दे पा रहें हैं, इसलिए अपने बच्चो के साथ कुछ समय बिताएं। उससे उसके दोस्तों के बारे में, पढाई-लिखाई के बारे में, साथ ही स्कूल के बारें में खूब सारी बातें करें। जिससे वह अपने आपको घर में अकेला महसूस ना करें।
4. हर बच्चो के शरारत करने का ढंग अलग होता है। कुछ बच्चो शोर मचाते हुए तरह-तरह की आवाजें निकालते हुए शरारतें करते हैं तो कुछ चुपचाप रहते हैं और बडी शरारतें कर जाते हैं। जैसे-स्कूल में ब्लैक बोर्ड पर किसी का उल्टा-सीधा स्केच बनाना या फिर फिल्मी गीतों की पैरोडी बनाकर गाना, ऎसे बच्चो पेरेंट्स या टीचर के डांटने पर ज्यादा शरारतें करते हैं और चोरी-छिपे दूसरों को परेशान करने में इन्हें बहुत ज्यादा मजा आता है।
5. ऎसे में चाहिए अभिभावकों को चाहिए कि वह उसे प्यार से समझाएं कि थोडा-बहुत हंसी-मजाक तो ठीक है लेकिन किसी का दिल दुखाना बहुत बुरी बात है। शोध से पता चला है कि ऎसे बच्चो बहुत क्रिएटिव होते है और इनका सेंस ऑफ ह्यूमर भी बहुत अच्छा होता है। इसलिए उनमें म्यूजिक सीखने या ड्राइंग करने की आदत विकसित करें।
6. शरारत करने पर बच्चो को सबके सामने पीटने या कमरे में बंद कर देने जैसी सख्त सजा कभी ना दें। ऎसे बच्चो बहुत भावुक होते हैं और सजा या पिटाई उनके मन में आक्रोश की भावना पैदा कर सकती है। इसलिए उन्हें शरारत से होने वाले नुकसान के बारे में समझाए। उनसे कहें कि जब कोई दूसरा व्यक्ति मेरे बच्चो की बुराई करता है तो मुझे अच्छा नहीं लगता और बहुत दुख होता है, तुम ऎसे अच्छे बच्चो बनो कि सब तुम्हारी तरीफ करें।

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